7 Essential Insights: What is an IPO and Its Pros & Cons ?

IPO Details IN Hindi :नमस्कार दोस्तों स्वागत हैं आपका एक बार फिर आपके अपने ब्लॉग Deshibulls.com पर ,जहाँ पर हम शेयर बाजार और फाइनेंस से जुडी हर महत्वपूर्ण जानकारी आपके साथ साझा करते हैं।आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण तथा खास टॉपिक्स के बारें में बात करने वाले हैं IPO यानि Initial Public Offering.अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने की सोच रहें हैं या फिर जानना चाहते हैं कि IPO Kya Hai?,इसका प्रोसेस क्या होता हैं,तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े। चलिए फिर बिना देरी के शुरू करते हैं।

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IPO

Table of Contents

IPO Kya Hota Hai? (What is IPO in Hindi?)

IPO का Full Form होता हैं Initial Public Offering,इसका सीधा सा मतलब हैं जब कोई प्राइवेट कंपनी पहली बार अपने शेयर्स पब्लिक से पैसे जुटाने के लिए बेचती हैं उसे आईपीओ (IPO) कहा जाता हैं।इससे पहले तक प्राइवेट कंपनियों के शेयर्स सिर्फ और सिर्फ प्राइवेट निवेशकों के पास होते हैं लेकिन आईपीओ आने के बाद कंपनी के शेयर्स को आम लोग भी खरीद सकते हैं और उस कंपनी में हिस्सेदार बन सकते हैं।

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IPO lane ka purpose kya hota hai (Purpose of IPO)

अब सवाल उठता हैं कि आखिरकार कंपनियां IPO लाती क्यों हैं,आईपीओ लाने के पीछे क्या मकसद होता हैं।इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:

Raising Capital :

IPO लाने का एक प्रमुख उद्देश्य पूंजी जुटाना भी हैं। कंपनियां को अपने व्यवसाय को बढ़ाने,अनुसन्धान एंड विकास करने तथा नए प्रोजेक्ट्स लगाने के लिए बहुत सारे पैसे की जरुरत होती हैं।इसके लिए IPO सबसे अच्छा विकल्प होता हैं। ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकि अगर कंपनी किसी BANK,NBFC या अन्य से अपने बिज़नेस के लिए उधार लेती हैं तो कंपनी को उस BANK या NBFC को एक Fix Interest Rate पर ब्याज देना होता हैं ,चाहे कंपनी प्रॉफिट में हो इस फिर घाटे में।जबकि IPO के जरिये कंपनी किसी को भी कोई ब्याज नहीं देती हैं बल्कि कंपनी में कुछ हिस्सेदारी दे देती हैं और बाजार से पूंजी जुटा लेती हैं।

Enhancing Visibility :

आईपीओ आने के बाद कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाती हैं जिससे उनकी ब्रांड वैल्यू और पहचान बढ़ जाती हैं।

Debt Repayment :

मार्केट में बहुत सी कंपनियां ऐसी भी होती हैं जो अपने कर्ज या डेब्ट को चुकाने के लिए आईपीओ लाती हैं।

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Providing Liquidity :

कई बार ऐसा भी देखा गया हैं कि जब कोई प्रारम्भिक निवेशक किसी प्राइवेट कंपनी में निवेश करता हैं और कुछ समय बाद उसे अच्छा मुनाफा हो रहा होता हैं। लेकिन तरलता न होने की वजह से अपने फंड्स को बहार नहीं निकाल पाते हैं। इसी समस्या के समाधान के लिए भी आईपीओ लाया जाता हैं ताकि प्रारंभिक निवेशक किसी भी समय अपने शेयर्स सम्पति को बेच के नगदी में परिवर्तित कर सकें। IPO प्रारंभिक निवेशकों और कर्मचारियों को तरलता प्रदान करता है।

जो Stock Option रखते हैं।सार्वजनिक एक्सचेंजों पर शेयरों का व्यापार करने की अनुमति देकर, शेयरधारक अपनी संपत्ति को नकद में परिवर्तित कर सकते हैं। यह तरलता प्रतिस्पर्धी बाजार में शीर्ष प्रतिभा को आकर्षित और बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।

Employee Incentives :

IPO स्टॉक विकल्पों और शेयरधारिता मुआवजे के माध्यम से कर्मचारी मनोबल को बनाए रखने में सुधार कर सकता है। जब कर्मचारियों के पास कंपनी की सफलता में हिस्सेदारी होती है, तो वे कॉर्पोरेट लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अधिक प्रेरित हो सकते हैं।

Exit Strategy for Early Investors :

वेंचर्स कैपिटलिस्ट और प्राइवेट इक्विटी फर्मों के लिए, IPO एक निकासी रणनीति के रूप में कार्य करता है। यह प्रारंभिक निवेशकों को उनके वर्षों के निवेश और समर्थन के बाद अपने रिटर्न को वास्तविकता में लाने की अनुमति देता है। यह संक्रमण अक्सर लाभदायक निकासी की ओर ले जाता है, जिससे दोनों निवेशकों और कंपनी को लाभ होता है।

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IPO कैसे काम करता है? (How IPO works?)

अब हम बात करेंगे IPO के प्रोसेस के बारें में। आईपीओ के लिए एक कंपनी को निम्न स्टेप्स से गुजरना पड़ता हैं।

Decision to Go Public :

कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स निर्णय लेते हैं कि वे शेयर बेचकर पूंजी जुटाएँगे। यह अक्सर विस्तार, ऋण चुकाने या ब्रांड की दृश्यता बढ़ाने के लिए किया जाता है।

Selecting Underwriters :

कंपनी निवेश बैंकों (Underwriters) को नियुक्त करती है जो IPO प्रक्रिया में मदद करते हैं। ये बैंक ऑफर मूल्य, जारी किए जाने वाले शेयरों की संख्या और प्रस्ताव की समय सीमा निर्धारित करने में मदद करते हैं।

Due Diligence and Filings :

कंपनी और अंडरराइटर्स पूरी जांच-पड़ताल करके एक पंजीकरण पत्र तैयार करते हैं, जिसमें कंपनी के वित्तीय विवरण, व्यापार मॉडल और जोखिम कारक शामिल होते हैं। यह दस्तावेज संबंधित नियामक प्राधिकरण (जैसे भारत में SEBI) के पास दाखिल किया जाता है।SEBI (Securities And Exchange Board of India) यह चेक करता हैं कि कंपनी की फाइनेंसियल स्थिति मजबूत हैं और वह IPO लाने के योग्य हैं या नहीं।

Prospectus Issue :

SEBI की मंजूरी के बाद कंपनी एक डॉक्यूमेंट जारी करती हैं जिसे ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रोस्पेक्टस (DRHP) कहते हैं। इसमें कंपनी की फाइनेंसियल जानकारी ,बिज़नेस मॉडल और आईपीओ से जुडी हर जानकारी होती हैं।

Roadshow :

कंपनी और अंडरराइटर्स संभावित निवेशकों के लिए रोड शो आयोजित करते हैं ताकि निवेशकों की IPO में रुचि उत्पन्न की जा सके। वे कंपनी की विज़न, व्यापार मॉडल और वित्तीय स्वास्थ्य का प्रदर्शन करते हैं।

Pricing :

निवेशकों की रुचि को जानने के बाद आता हैं प्राइसिंग का स्टेप इसमें अंडरराइटर्स और कंपनी यह तय करती हैं कि शेयर की कीमत और बेचे जाने वाले शेयरों की संख्या क्या होगी। यह मूल्य निर्धारण IPO की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।IPO में दो तरह की प्राइसिंग होती हैं :

Fixed Price Issue :

इसमें शेयर की कीमत फिक्स होती हैं।

Book Building Issue :

इसमें एक प्राइस बैंड होती हैं और निवेशक उस प्राइस बैंड में अपनी बोली लगाते हैं।

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Offering :

अब कंपनी अपने शेयर्स को पब्लिक के लिए निर्धारित तिथि पर जारी करती हैं। इसके बाद लोग अपने डीमैट अकाउंट के जरिये IPO में अप्लाई कर सकते हैं।

Allotment ,Refund & Listing :

ऑफर बंद होने के बाद कंपनी शेयर को अलॉट करना शुरू कर देती हैं। जिस भी निवेशक को शेयर अलॉट होते हैं वो उसके डीमैट अकाउंट में आ जाते हैं।अगर किसी व्यक्ति को शेयर्स अलॉट नहीं होते हैं तो उस व्यक्ति के IPO एप्लीकेशन में लॉक हुए पैसे फ्री हो जाते हैं।इसके बाद फिर कंपनी के शेयर्स की स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग होती हैं।लिस्टिंग के बाद कंपनी के शेयर्स की स्टॉक एक्सचेंज पर खरीद बेच शुरू हो जाती हैं।

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IPO Me Nivesh Kaise Karen ?(How To Invest In IPO?)

अगर आप भी आईपीओ में निवेश करना चाहते हैं ,तो इसके लिए कुछ आसान स्टेप्स हैं :

Set Up an Account :

आईपीओ में निवेश करने के लिए आपके पास एक Demat Account होना अनिवार्य हैं।मार्केट में बहुत सारे ब्रोकर्स मौजूद हैं आप अपने इंटरेस्ट के मुताबिक से किसी भी Broker जैसे –Zerodha Kite ,Angle One ,Upstox या अन्य किसी ब्रोकर को चुन सकते हैं।

Monitor Upcoming IPO :

आप अपने ब्रोकर या किसी फाइनेंसियल वेबसाइट से आने वाले IPO की जानकारी रख सकते हैं।

Online Apply :

जब भी कोई IPO खुले ,तो आप अपने Demat Account के जरिये ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं।

Make the Payment :

Online आवेदन भरने के बाद, आपको उसके लिए भुगतान करना होगा।

Confirmation of Application :

एक बार जब आप आवेदन कर लेते हैं, तो आपको एक आवेदन संख्या मिलेगी।

Wait For Allotment :

जब आपके द्वारा अप्लाई किये हुए आईपीओ की ऑफरिंग बंद हो जाएँ ,उसके बाद आपको अलॉटमेंट की जानकारी मिल जाएगी। अगर आपको शेयर्स अलॉट होते हैं ,तो वे आपके डीमैट अकाउंट में आ जायेंगे।

Trading of Shares :

जब शेयर आपके डिमैट अकाउंट में आ जाएं, तो आप उन्हें बेच सकते हैं या रख सकते हैं।

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IPO Me Nivesh Se Kya Fayda Hota Hai (Pros of Investing in IPO)

IPO (इनीशियल पब्लिक ऑफर) में निवेश करने के कई फायदे हैं। चलिए, इनके बारे में विस्तार से जानते हैं:

लिस्टिंग गेन (Listing Gain) :

IPO की जिस दिन स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग होती है, और यदि कंपनी की मांग अधिक है, तो लिस्टिंग प्राइस से ऊपर ही खुलता है। इससे निवेशकों को त्वरित लाभ होता है। यह लाभ कभी-कभी 10% से लेकर 50% या उससे भी अधिक हो सकता है।

लिक्विडिटी (Liquidity) :

IPO में निवेश करने से आपको बाजार में अपनी शेयरों को बेचने की सुविधा मिलती है। लिक्विडिटी का मतलब है कि आप अपने निवेश को आसानी से नकद में बदल सकते हैं, जोकि आपको आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।

लंबी अवधि में अधिक लाभ (Huge Profit in Long Term) :

कई कंपनियाँ अपने आईपीओ के बाद सफलतापूर्वक बढ़ती हैं, जिससे लंबे समय में उनके शेयरों का मूल्य बढ़ता है। समय के साथ, यदि कंपनी की वृद्धि जारी रहती है, तो निवेशक को भारी लाभ मिल सकता है।

जोखिम की कम सम्भावना (Less Risky) :

IPO में निवेश करने का एक और बड़ा फायदा यह है कि बहुत से आईपीओ में एक मजबूत और स्थिर कंपनी का हिस्सा बनने का मौका मिलता है। यदि आप अच्छी तरह से शोध करते हैं, तो आप ऐसे आईपीओ में निवेश कर सकते हैं जिनमें जोखिम कम हो।

पारदर्शिता (Transparency) :

IPO प्रक्रिया में कंपनियों को विभिन्न वित्तीय और व्यावसायिक जानकारियाँ साझा करनी होती हैं। इससे निवेशकों को कंपनी की स्थिति और भविष्य की संभावनाओं का सही आकलन करने में मदद मिलती है। पारदर्शिता से आप अपने निवेश के बारे में बेहतर निर्णय ले सकते हैं।

इन सभी कारणों से, IPO में निवेश करना एक आकर्षक विकल्प बन जाता है। निवेशकों को अपने शोध और विवेक के साथ सही निर्णय लेना चाहिए।

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IPO Me Nivesh Se Kya Nuksan Hota Hai (Cons of Investing in IPO)

IPO (इनीशियल पब्लिक ऑफर) में निवेश करने के कई लाभ हैं, लेकिन इसके साथ ही कुछ नुकसान भी हैं। चलिए, इन्हें विस्तार से समझते हैं:

अलॉटमेंट प्राप्त ना होना (Not Getting Allotment) :

कई बार, जब किसी आईपीओ में भारी मांग होती है, तो सभी निवेशकों को उनके आवेदन के अनुरूप शेयर नहीं मिलते। इससे कुछ निवेशक अलॉटमेंट से वंचित रह जाते हैं, और उन्हें निवेश का मौका नहीं मिलता।

सीमित निवेश कर पाना (Limited Scope of Investment) :

कुछ आईपीओ में न्यूनतम निवेश की सीमा होती है, जिससे छोटे निवेशकों के लिए निवेश करना मुश्किल हो सकता है। यह निवेश के विकल्प को सीमित कर देता है और हर किसी के लिए उपलब्ध नहीं होता।

भ्रामक सूचना का प्रसार (Spread of Misleading Information) :

कभी-कभी कंपनियों द्वारा प्रचारित जानकारी सही नहीं होती या भ्रामक होती है। इस कारण निवेशक गलत निर्णय ले सकते हैं। इसलिए, निवेशकों को ध्यानपूर्वक जांच करना आवश्यक है।

बड़े निवेशकों द्वारा शेयर प्राइस को मेनिपुलेट करना (Price Manipulation By Big Investors) :

बड़े निवेशक या फंड कई बार शेयरों की कीमत को अपने लाभ के लिए प्रभावित कर सकते हैं। इस मेनिपुलेशन के कारण छोटे निवेशक नुकसान में पड़ सकते हैं, जब शेयर की कीमत असामान्य रूप से घटती है।

इन नुकसानों को देख ,समझकर ही निवेशकों को आईपीओ में निवेश करना चाहिए। सही जानकारी और समझ के बिना कोई भी निर्णय लेना जोखिम भरा हो सकता है।

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Important Dates Related to IPOs and Their Meanings

IPO प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण तारीखें होती हैं, जिनका सही ज्ञान होना आवश्यक है। ये तारीखें निवेशकों को उचित समय पर निर्णय लेने में मदद करती हैं। आइए, इन महत्वपूर्ण तारीखों के बारे में जानते हैं:

Draft Red Herring Prospectus (DRHP Filing Date) :

यह वह तारीख है जब कंपनी अपने प्रारंभिक प्रॉस्पेक्टस को नियामक अधिकारियों को प्रस्तुत करती है, जिसमें उसके व्यवसाय, वित्तीय स्थिति और आईपीओ के विवरण का उल्लेख होता है।

आवेदन शुरू होने की तारीख (Application Open Date) :

यह वह तारीख है जब निवेशक IPO के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस अवधि के दौरान, निवेशक अपने निवेश के लिए निर्धारित राशि को निवेश कर सकते हैं। यह अवधि आमतौर पर 3 से 7 दिनों की होती है।

आवेदन बंद होने की तारीख (Application Closing Date) :

यह वह तारीख है जब IPO के लिए आवेदन स्वीकार करना बंद हो जाता है। इसके बाद, कोई भी नया आवेदन नहीं किया जा सकता। निवेशकों को ध्यान देना चाहिए कि वे इस तारीख से पहले अपना आवेदन जमा करें।

आवंटन की तारीख (Allotment Date) :

इस दिन यह तय होता है कि कौन से निवेशकों को कितने शेयर आवंटित किए जाएंगे। यदि आवेदन की संख्या अधिक हो, तो शेयरों का आवंटन आनुपातिक रूप से किया जाता है।

रेफंड की तारीख (Refund Date) :

यदि किसी निवेशक को शेयर आवंटित नहीं होते, तो उनकी निवेश की गई राशि को वापस करने की तारीख। यह प्रक्रिया भी समयबद्ध होती है और निवेशकों को उनकी राशि वापस मिलने का समय बताती है।

डिमेट ट्रांसफर की तारीख (Demat Transfer Date) :

यह वह तारीख है जब आवंटित शेयरों को निवेशक के डिमेट अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है। यह तारीख लिस्टिंग से पहले होती है, ताकि लिस्टिंग के दिन निवेशक आसानी से अपने शेयरों का व्यापार कर सकें।

लिस्टिंग की तारीख (Listing Date) :

यह वह तारीख है जब कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं और ट्रेडिंग शुरू होती है। यह तारीख महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे निवेशकों को लिस्टिंग गेन या नुकसान का आकलन करने का मौका मिलता है।

इन तारीखों को ध्यान में रखते हुए, निवेशक अपनी योजना बना सकते हैं और सही समय पर निर्णय ले सकते हैं। सही जानकारी और समय पर कार्रवाई करने से IPO में निवेश का अनुभव बेहतर होता है।

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IPO में निवेश करने वाले निवेशकों के प्रकार। (Types of IPO Investor’s)

IPO (इनीशियल पब्लिक ऑफर) में विभिन्न प्रकार के निवेशक शामिल होते हैं, जिनकी निवेश रणनीतियाँ और उद्देश्य अलग-अलग होते हैं। आइए, इन निवेशकों के प्रकार के बारे में जानते हैं:

संस्थानिक निवेशक (Institutional Investors) :

ये बड़े वित्तीय संस्थान होते हैं, जैसे म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड, और बीमा कंपनियाँ। इनका मुख्य उद्देश्य बड़े पैमाने पर निवेश करना और अधिकतम लाभ कमाना होता है। संस्थानिक निवेशक अक्सर बाजार की दिशा को प्रभावित करते हैं और इनके द्वारा की गई निवेश गतिविधियाँ महत्वपूर्ण होती हैं।

रेटेल निवेशक (Retail Investors) :

ये छोटे व्यक्तिगत निवेशक होते हैं, जो अपने निजी निवेश के लिए आईपीओ में भाग लेते हैं। रिटेल निवेशक आमतौर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से आवेदन करते हैं और इनके निवेश की राशि सीमित होती है। ये आमतौर पर लंबे या छोटे समय के लिए निवेश करते हैं।

क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर (Qualified Institutional Buyers – QIB) :

ये विशेष प्रकार के संस्थानिक निवेशक होते हैं, जो नियमों के तहत आईपीओ में भाग ले सकते हैं। इनमें म्यूचुअल फंड, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI), और अन्य बड़े वित्तीय संस्थान शामिल होते हैं। QIB को आईपीओ में अधिकतम शेयर आवंटित किए जाते हैं।

हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (High Net-Worth Individuals – HNIs) :

ये ऐसे व्यक्तिगत निवेशक होते हैं जिनके पास पर्याप्त संपत्ति होती है और वे बड़े पैमाने पर निवेश करने के लिए सक्षम होते हैं। HNIs अक्सर अपने निवेश को विविधता देने और उच्च लाभ कमाने के लिए आईपीओ में भाग लेते हैं।

ब्रोकर-डीलर (Broker-Dealers) :

ये निवेशक और संस्थान होते हैं, जो आईपीओ में शेयर खरीदते हैं और फिर उन्हें बाजार में बेचते हैं। ब्रोकर-डीलर अक्सर बाजार के उतार-चढ़ाव का लाभ उठाने के लिए सक्रिय होते हैं।

इन विभिन्न प्रकार के निवेशकों की उपस्थिति से आईपीओ बाजार में विविधता आती है। प्रत्येक प्रकार के निवेशक का बाजार में अलग-अलग प्रभाव होता है, और यह निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है कि वे अपने उद्देश्यों के अनुसार सही रणनीति अपनाएँ।

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IPO में निवेश करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए (Things to Consider Before Investing in an IPO)

IPO (इनीशियल पब्लिक ऑफर) में निवेश करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। ये बातें आपको सही निर्णय लेने में मदद करेंगी। आइए, इन बातों को समझते हैं:

कंपनी का प्रॉस्पेक्टस पढ़ें (Read the Company Prospectus) :

कंपनी का प्रॉस्पेक्टस एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसमें कंपनी की वित्तीय स्थिति, व्यवसाय की जानकारी, और IPO से संबंधित सभी विवरण होते हैं। इसे ध्यान से पढ़ें और समझें कि कंपनी का व्यवसाय मॉडल क्या है।

कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन का विश्लेषण करें (Analyze the Company’s Financial Performance) :

कंपनी की पिछले वर्षों की आय, लाभ, और ऋण स्तर का आकलन करें। यह आपको यह समझने में मदद करेगा कि कंपनी की वित्तीय स्थिति कितनी मजबूत है।

मार्केट ट्रेंड और प्रतियोगिता का अध्ययन करें (Study Market Trends and Competition) :

बाजार के वर्तमान रुझानों और प्रतियोगी कंपनियों की स्थिति को समझें। यह आपको यह जानने में मदद करेगा कि कंपनी अपने क्षेत्र में कैसे प्रतिस्पर्धा कर रही है।

लॉक-इन पीरियड को समझें (Understand the Lock-in Period) :

कई आईपीओ में लॉक-इन पीरियड होता है, जिसका मतलब है कि आप निर्धारित अवधि के दौरान शेयर नहीं बेच सकते। इस बात का ध्यान रखें ताकि आप अपनी निवेश रणनीति के अनुसार योजना बना सकें।

सिर्फ लिस्टिंग गेन के लिए निवेश न करें (Don’t Invest Just for Listing Gain) :

कई निवेशक केवल लिस्टिंग गेन के लिए आईपीओ में निवेश करते हैं। लेकिन यह याद रखें कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण से कंपनी के विकास की संभावनाएं अधिक महत्वपूर्ण हैं।

क्वालिटी और रिसर्च पर ध्यान दें (Focus on Quality and Research) :

अच्छे आईपीओ की पहचान करने के लिए गहन रिसर्च करें। इसके लिए आप विशेषज्ञों की राय और फाइनेंशियल एनालिसिस का सहारा ले सकते हैं।

अपने जोखिम को समझें (Understand Your Risk Tolerance) :

हर निवेश के साथ कुछ जोखिम जुड़े होते हैं। सुनिश्चित करें कि आप उस जोखिम को समझते हैं और आप अपनी जोखिम सहिष्णुता के अनुसार निवेश कर रहे हैं।

विभिन्न प्रकार के निवेशकों का ध्यान रखें (Be Aware of Different Types of Investors) :

समझें कि आईपीओ में विभिन्न प्रकार के निवेशक होते हैं, जैसे रिटेल, एंकर, और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर। इनके द्वारा की गई निवेश गतिविधियाँ भी आईपीओ के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती हैं।

निवेश राशि निर्धारित करें (Determine Your Investment Amount) :

अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार निवेश राशि तय करें। निवेश करते समय अपनी वित्तीय स्थिति का ध्यान रखें और अपनी सीमाओं के भीतर रहें।

कानूनी और नियामक पहलुओं पर ध्यान दें (Pay Attention to Legal and Regulatory Aspects) :

आईपीओ से जुड़े सभी कानूनी दस्तावेजों और नियमों को समझें। इससे आपको यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि आप सभी नियमों का पालन कर रहे हैं।

इन बातों का ध्यान रखते हुए, आप आईपीओ में निवेश करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकते हैं। सही जानकारी और उचित योजना के साथ आप अपने निवेश को सुरक्षित और लाभकारी बना सकते हैं।

IPO में इस्तेमाल होने वाले शब्द और उनके अर्थ।(Terms Used in IPOs and Their Meanings)

यहाँ IPO से जुड़े टर्म्स और उनके अर्थ दिए गए हैं:

IPO (इनीशियल पब्लिक ऑफर)

जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयरों को आम जनता के लिए बेचती है।

एंकर इनवेस्टर (Anchor Investor)

बड़े संस्थागत निवेशक जो IPO के पहले कुछ शेयरों को खरीदते हैं।

आवंटन (Allotment)

निवेशकों को उनके आवेदन के आधार पर शेयरों का वितरण।

लिस्टिंग (Listing)

जब कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर व्यापार के लिए उपलब्ध होते हैं।

लिस्टिंग गेन (Listing Gain)

लिस्टिंग के पहले दिन शेयरों की कीमत में वृद्धि से होने वाला लाभ।

रेफंड (Refund)

यदि निवेशक को शेयर आवंटित नहीं होते, तो उनकी निवेश की गई राशि वापस करना।

डिमेट (Demat)

शेयरों का इलेक्ट्रॉनिक रूप में होना, जिससे उन्हें आसानी से व्यापार किया जा सके।

क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर (QIB)

विशेष प्रकार के संस्थानिक निवेशक जो आईपीओ में भाग ले सकते हैं।

रेशनल प्राइसिंग (Rational Pricing)

शेयरों के मूल्य का निर्धारण, कंपनी की वित्तीय स्थिति और बाजार की मांग के आधार पर।

IPO प्रॉस्पेक्टस (IPO Prospectus)

कंपनी की वित्तीय स्थिति और IPO से संबंधित विवरणों वाला आधिकारिक दस्तावेज।

सब्सक्रिप्शन (Subscription)

निवेशकों द्वारा शेयरों के लिए आवेदन करना।

ओवरसब्सक्रिप्शन (Oversubscription)

जब एक आईपीओ में शेयरों की संख्या से अधिक आवेदन प्राप्त होते हैं।

प्राइस बैंड (Price Band)

आईपीओ में शेयरों की कीमत की सीमाएँ, जो निवेशकों को प्रदान की जाती हैं।

ग्रे मार्केट प्रीमियम (Grey Market Premium)

आईपीओ के लिस्टिंग से पहले शेयरों की अनौपचारिक ट्रेडिंग में प्रीमियम।

रिटेल निवेशक (Retail Investor)

छोटे व्यक्तिगत निवेशक जो अपने निजी निवेश के लिए आईपीओ में भाग लेते हैं।

हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs)

वे व्यक्तिगत निवेशक जिनके पास पर्याप्त संपत्ति होती है और वे बड़े पैमाने पर निवेश करते हैं।

ब्रोकर-डीलर (Broker-Dealer)

वे फर्म या व्यक्ति जो शेयरों को खरीदते और बेचते हैं।

फाइनेंशियल रेशियो (Financial Ratio)

कंपनी की वित्तीय स्थिति का आकलन करने के लिए इस्तेमाल होने वाले गुणांक।

मार्केट कैप (Market Cap)

कंपनी के सभी शेयरों का कुल बाजार मूल्य।

फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis)

कंपनी की वित्तीय स्थिति और प्रदर्शन का आकलन करने की प्रक्रिया।

टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis)

बाजार के आंकड़ों का अध्ययन करके शेयरों की भविष्यवाणी करना।

IPO बुक बिल्डिंग (IPO Book Building)

शेयरों की कीमत निर्धारित करने के लिए निवेशकों से कीमतों के बिड्स लेना।

लॉक-इन पीरियड (Lock-in Period)

शेयरों को बेचना या ट्रांसफर करने की अवधि, जिसमें शेयर धारक अपने शेयर नहीं बेच सकते।

एसेट्स (Assets)

कंपनी की आर्थिक संपत्तियाँ, जैसे नकद, उपकरण और अचल संपत्ति।

लायबिलिटीज (Liabilities)

कंपनी पर वित्तीय दायित्व, जैसे ऋण और उधारी।

आईपीओ रिसर्च (IPO Research)

कंपनी के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की प्रक्रिया, ताकि सही निवेश निर्णय लिया जा सके।

एंटरप्राइज वैल्यू (Enterprise Value)

कंपनी के कुल मूल्य का आकलन, जिसमें सभी लायबिलिटीज शामिल होते हैं।

आईपीओ कैलेंडर (IPO Calendar)

आगामी आईपीओ की तारीखों की सूची।

शेयरहोल्डर (Shareholder)

वह व्यक्ति या संस्था जो कंपनी के शेयरों का मालिक है।

प्री-आईपीओ (Pre-IPO)

आईपीओ से पहले की स्थिति, जब कंपनी अपने शेयरों को सीमित संख्या में बेचती है।

शेयर प्राइस (Share Price)

कंपनी के एक शेयर का बाजार मूल्य।

एग्रीगेट डिमांड (Aggregate Demand)

कुल मांग, जिसमें सभी निवेशकों के लिए शेयरों की संख्या शामिल होती है।

अलॉटमेंट रेशियो (Allotment Ratio)

आवंटित शेयरों की संख्या और कुल आवेदन की संख्या के बीच का अनुपात।

वैल्यूएशन (Valuation)

कंपनी के मूल्य का निर्धारण करने की प्रक्रिया।

नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC)

वे वित्तीय संस्थान जो बैंक की तरह काम करते हैं लेकिन बैंक नहीं होते।

IPO टर्नअराउंड (IPO Turnaround)

जब कोई कंपनी अपने आईपीओ के बाद अपने व्यवसाय को फिर से सफल बनाती है।

इंफॉर्मेशन मेमोरंडम (Information Memorandum)

कंपनी की जानकारी और प्रस्ताव का विस्तृत दस्तावेज।

अंडरराइटर (Underwriter)

वे वित्तीय संस्थान जो आईपीओ के शेयरों को खरीदने और उन्हें वितरित करने की जिम्मेदारी लेते हैं।

मार्केट ट्रेंड (Market Trend)

बाजार में चलन या दिशा, जो निवेश के निर्णय को प्रभावित करती है।

सस्टेनेबिलिटी (Sustainability)

कंपनी की लंबी अवधि की सफलता और उसके व्यवसाय मॉडल की स्थिरता।

कॉर्पोरेट गवर्नेंस (Corporate Governance)

कंपनी के संचालन में पारदर्शिता और नैतिकता के मानदंड।

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IPO Highlights 

आईपीओ के बारें में विस्तार से चर्चा करने के बाद हमने जाना कि IPO वह प्रक्रिया है जब कोई प्राइवेट कंपनी पहली बार अपने शेयर्स आम जनता को बेचती है। इसका मुख्य उद्देश्य पूंजी जुटाना, ब्रांड वैल्यू बढ़ाना और कर्ज चुकाना होता है। IPO में निवेश करने से आपको लिस्टिंग गेन, लिक्विडिटी और दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है। लेकिन इसके साथ ही, निवेशक को कुछ जोखिम भी उठाने पड़ सकते हैं। इसलिए, निवेश करने से पहले कंपनी का प्रॉस्पेक्टस पढ़ना और वित्तीय प्रदर्शन का विश्लेषण करना बेहद जरूरी है।

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निष्कर्ष (Conclusion)

IPO में निवेश करना एक सुनहरा अवसर हो सकता है।लेकिन इसे सोच-समझकर करना चाहिए,तो दोस्तों ये था IPO के बारें में हमारा आज का लेख उम्मीद हैं आपको IPO के बारे में सब कुछ समझ में आ गया होगा। अगर आपको हमारा लेख पसंद आया ,तो ऐसे लाइक ,शेयर और कमेंट जरूर करें ,और हमारे ब्लॉग को विजिट करना न भूलें ताकि आप इसी तरह के इंफॉर्मेटिव लेख पढ़ते रहें। मिलते हैं अगले लेख में तब तक के लिए धन्यवाद !

FAQ About IPO :

IPO के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न इस प्रकार हैं :

प्रश्न 1: IPO क्या है? (What is an IPO?)

उत्तर: IPO का मतलब है “इनिशियल पब्लिक ऑफर”। यह वह प्रक्रिया है जिसके जरिए एक कंपनी अपने शेयर पहली बार आम जनता को बेचती है।

प्रश्न 2: IPO में निवेश कैसे करें? (How to invest in an IPO?)

उत्तर: IPO में निवेश करने के लिए, आपको एक डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट की आवश्यकता होती है। इसके बाद, आपको IPO के लिए आवेदन करना होगा और भुगतान करना होगा।

प्रश्न 3: क्या कोई भी IPO में निवेश कर सकता है? (Can anyone invest in an IPO?)

उत्तर: हां, कोई भी व्यक्ति, संस्थान या समूह IPO में निवेश कर सकता है, बशर्ते उनके पास आवश्यक खाता हो।

प्रश्न 4: IPO में निवेश करने के लाभ क्या हैं? (What are the benefits of investing in an IPO?)

उत्तर: IPO में निवेश करने के लाभों में उच्च रिटर्न की संभावना, शेयर बाजार में जल्दी प्रवेश और नए व्यवसायों का समर्थन शामिल हैं।

प्रश्न 5: IPO में निवेश करते समय ध्यान देने योग्य बातें क्या हैं? (What should be considered when investing in an IPO?)

उत्तर: निवेश करने से पहले कंपनी के फंडामेंटल्स, बाजार की स्थिति, और अपने वित्तीय लक्ष्यों का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 6: अगर मुझे IPO में शेयर नहीं मिलते तो क्या होगा? (What if I do not get shares in the IPO?)

उत्तर: यदि आपको IPO में शेयर नहीं मिलते, तो आपका पैसा रिफंड कर दिया जाएगा।

प्रश्न 7: IPO के बाद शेयरों का मूल्य कैसे बदलता है? (How does the share price change after the IPO?)

उत्तर: IPO के बाद शेयरों का मूल्य कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कंपनी के प्रदर्शन, बाजार की स्थिति और निवेशकों की मांग।

प्रश्न 8: IPO में आवेदन करने की प्रक्रिया क्या है? (What is the process of applying for an IPO?)

उत्तर: IPO में आवेदन करने के लिए, आपको सबसे पहले डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा। फिर, IPO के लिए आवेदन फॉर्म भरें, आवश्यक जानकारी प्रदान करें और भुगतान करें।

प्रश्न 9: क्या IPO में निवेश करने के लिए कोई न्यूनतम या अधिकतम सीमा है? (Is there a minimum or maximum limit for investing in an IPO?)

उत्तर: हां, हर IPO में न्यूनतम और अधिकतम निवेश सीमा हो सकती है, जो कंपनी द्वारा निर्धारित की जाती है।

प्रश्न 10: क्या IPO में निवेश करना सुरक्षित है? (Is investing in an IPO safe?)

उत्तर: IPO में निवेश करना कुछ हद तक जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि बाजार की अस्थिरता और कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। इसलिए, हमेशा सही जानकारी और सावधानी से निर्णय लेना महत्वपूर्ण है।

इस ब्लॉग में दी गई जानकारी केवल सामान्य शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। यह वित्तीय सलाह नहीं है। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। Deshibulls.com किसी भी निवेश के परिणामों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। कृपया ध्यान से विचार करें और उचित अनुसंधान करें।

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